Saturday 6 September 2014

विभ्रम

आँख के पानी का मूल्य
मालूम नहीं होने से
लोग इसकी तुलना
मोती से कर देते हैं,
मोती समंदर के ठंडे जल में
उत्पन्न होता है
जबकि आँसू झुलसते हुए
हृदय की गहराई से जन्म लेते,
हाय ! कितना सारा विभ्रम
फैलाया है शैतानों ने ।
बाहरी बनावट की एकरूपता
भ्रम पैदा करती है
लेकिन समय का संसर्ग
भ्रम को तोड़ देता है,
तब पता लगता है
मुखौटे के पीछे छिपे बैठे
शैतानों का
जो मात्र आंसुओं के
कारण ही तो बनते हैं ।
शैतान जलाते हैं
सुकोमल दिल पर
दुर्वा सी हरियाई भावनाओं को ,
ये शैतान तीक्ष्ण पंजों से
छलनी करते जाते हैं
मन के नर्म आँगन को,
जहांसे उग आती है
पीड़ाओं की अरुचिकर फसल।
शैतानों को बोतल में बंद करना
हिंसा का पथ नहीं,
यह तो मूल्यों के लिए
छेड़े गए युद्ध को
पूर्ण करने के अनुष्ठान का
है स्वस्थ संकल्प ।
अब विभ्रम क्या रखना ?
शैतानों को बोतल में
बंद करने का क्षण
हमारे हाथ लगता।
- त्रिलोकी मोहन पुरोहित, राजसमंद।

No comments:

Post a Comment

संवेदना तो मर गयी है

एक आंसू गिर गया था , एक घायल की तरह . तुम को दुखी होना नहीं , एक अपने की तरह . आँख का मेरा खटकना , पहले भी होता रहा . तेरा बदलना चुभ र...