Saturday 21 September 2013

सच पूछो तो बात अलग है।।

कोरे कागज़  
काली स्याही जब शब्दों से 
खरी बात कह आग लगाती   
सच पूछो तो
बात अलग है।
सच पूछो तो
बात अलग है।। 

पुष्पित उपवन  ,
अपने माथे अंगारों से  
पुष्प सजा विद्रोह दिखाता 
शपथ से कहता
आग अलग है।
सच पूछो तो
बात अलग है।। 

जब हंसों ने
मुक्ताओं का मोह छोड़ के 
पाषाणों को राग सुनाया 
ज़रा कान दो
राग अलग है।
सच पूछो तो
बात अलग है।। 

अलमस्तों ने
प्राण हथेली पल में रख कर 
प्राणों को निज देश पे वारा 
सुर्ख धरा का
भाव अलग है।
सच पूछो तो
बात अलग है।।  

शव सा रह के 
कब तक शोणित व्यर्थ करेगा
ज़रा कपोलों पर शोणित मल
दीवानों का
फाग अलग है।
सच पूछो तो
बात अलग है।। 

इतिहासों ने
उसे सहेजा जो लीक छोड़ के   
आँख मिलाने  चला काल से 
यह जीवन का 
भाग अलग है।
सच पूछो तो
बात अलग है।।  

-त्रिलोकी मोहन पुरोहित , राजसमन्द ( राजस्थान ) 

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