Tuesday 6 November 2012

आज के हाइकू- यही प्यार है.



धरा जली तो,
बादल गर्जे-वर्षे,
यही प्यार है.

*****************
आग कहीं पे ,
है जलन कहीं पे,
यही प्यार है.

*****************
इक जाता है ,
इक द्वार पे रोये,
यही प्यार है.

*****************
आँखें बरसी,
तब दामन भीगा,
यही प्यार है.

*****************
उस ने सोचा ,
उसे हिचकी आयी,
यही प्यार है.

*****************

No comments:

Post a Comment

संवेदना तो मर गयी है

एक आंसू गिर गया था , एक घायल की तरह . तुम को दुखी होना नहीं , एक अपने की तरह . आँख का मेरा खटकना , पहले भी होता रहा . तेरा बदलना चुभ र...