Saturday 17 November 2012

रोया था नभ .


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ओस की बूंदे ,
पूरी रात गिरी थी ,
रोया था नभ .
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नभ गरजा ,
धरती हिलती है,
मांगे हिसाब .
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हवा चली है ,
खिड़की हिलती है,
होगा मन का .
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लाल नभ से,
सरोवर भी लाल ,
तू क्यों न लाल .
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दायें से बाएं,
उड़ गया परिंदा,
तू ना बदला .
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