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संवेदना तो मर गयी है
एक आंसू गिर गया था , एक घायल की तरह . तुम को दुखी होना नहीं , एक अपने की तरह . आँख का मेरा खटकना , पहले भी होता रहा . तेरा बदलना चुभ र...
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प्रयाण गीत गान से , वर वीर वाहिनी के , क्षिप्रता से बढ़े जैसे , दावानल बढ़ते . कपि-वृन्द उत्साह से, कूर्दन-धावन करे , ...
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चाहता हूँ मिलूँ अपनी मिट्टी से। कई रंग मिलते अपनी मिट्टी से॥ रंज और गम क्यों रखूँ अपनों से। एक रिश्ता भी है अपनी मिट्टी से॥ बुरा भी भ...
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दुख है कितना अपना कितना पराया जब अपने ही हुए पराये तुम जानो या मैं जानूँ क्योंकि दुख ये तुमसे चिपटा या मुझसे चिपटा ।। दुख ह...
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