Tuesday 27 September 2011

उनकी जीभ बहुत नरम है.

जिन की जेब बहुत गरम है,
उनकी जीभ बहुत नरम है.
मुड़ जाती आराम से .

कई योजनाएँ आती हैं,
कई बैठकें होती हैं,
अन्वेषण चलते जाते ,
और रपट सामनें आती हैं ,

प्रेम-पगे तब आते निमंत्रण,
हम भी पहुंचते शान से ,
पहले चढ़ाते हैं झाड़ पर ,
फिर गिराते धड़ाम से,
जैसे मछेरा डाले चारा,
फांसे मछली आराम से.
जिन की जेब बहुत गरम है,
उनकी जीभ बहुत नरम है.
मुड़ जाती आराम से .


सबसे पहले यही कहेंगे,
मिलकर सम्प्रेषण करेंगे,
वे  मीन- मेख निकालेंगें,
हम बोलेंगे तो चुप कर देंगें ,

बच्चों में गुणवत्ता कम है.
बेढंगा पूरा शिक्षण है.
बेशर्मी  है बहुत चरम पर ,
जीवन-कौशल का नहीं चलन है  ,

कमियों की सूची लम्बी होगी  ,
साथ नसीहत  भारी होगी  ,
बीच-बीच में फटकारें होंगी,
उद्वेलन पर बातें प्यारी होगी ,
जैसे व्यापारी बातों में ,
बेचान करे आराम से.

जिन की जेब बहुत गरम है,
उनकी जीभ बहुत नरम है.
मुड़ जाती आराम से .











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